Chidiyon Ka Sansar Poem: चिड़ियों का संसार कविता
चिड़ियों का संसार सबसे पहले मेरे घर का अंडे जैसा था आकार तब मैं यही समझती थी बस इतना सा ही है संसार फिर मेरा घर बना घोंसला सूखे तिनको को से तैयार तब मैं यही समझती थी बस इतना सा ही है संसार फिर मैं निकल गई शाखो पर हरी-भरी थी जो सुकुमार तब ...