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बहुत हुआ

बहुत हुआ : Bahut Hua Poem

बहुत हुआ बादल भैया बहुत हुआ किचड़ किचड़ पानी पानी याद सभी को आई नानी सारा घर दिन रात चूआ जाए कहां कहां पर खेले घर में फंसे बोरियत झेले जो पिंजरे में मौन सुआ सूरज दादा धूप खिलाये ताल नदी सड़को से जाये तुम भी भैया करो दुआ! Summary(सारांश) बहुत हुआ कविता का भावार्थ ...