Chidiyon Ka Sansar Poem

Dinesh Kumar

Chidiyon Ka Sansar Poem: चिड़ियों का संसार कविता

Chidiyon Ka Sansar Poem, चिड़ियों का संसार कविता

चिड़ियों का संसार

Chidiyon Ka Sansar Poem

सबसे पहले मेरे घर का

अंडे जैसा था आकार

तब मैं यही समझती थी

बस इतना सा ही है संसार

फिर मेरा घर बना घोंसला

सूखे तिनको को से तैयार

तब मैं यही समझती थी बस

इतना सा ही है संसार

फिर मैं निकल गई शाखो पर

हरी-भरी थी जो सुकुमार

तब मैं यही समझती थी बस

इतना सा ही है संसार

आख़िर जब मैं आसमान में

उड़ी दूर तक पंख पसार

तभी समझ में मेरी आया

बहुत बड़ा है यह संसार

चिड़ियों का संसार कविता

Description(वर्णन)

Chidiyon Ka Sansar Poem: यह कविता यह दर्शाता है कि जब चिड़िया अंडे में होता है तो उसको लगता है कि इतना छोटा ही है यह संसार लेकिन जब वह अंडा से बाहर आते हैं खेलता है कूदता है तो समझता है कि इतना बड़ा ही है संसार लेकिन जब आसमान में उड़ान भरने लगता है इधर-उधर आने लगता है भटकने लगता है तो उसको समझ में आता है कि बहुत बड़ा है यह संसार, इसी पर आधारित यह कविता लिखा गया है शायद आपको पसंद आएगा, पसंद आए तो आप अपना कमेंट जरुर दीजिए और जितना हो सके शेयर कीजिए अपने फ्रेंडों के साथ

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लेखक निरंकार देव ‘सेवक’

Q. चिड़ियों का संसार कविता का भावार्थ-

Ans -चिड़ियों का संसार कविता का भावार्थ है कि जब तक दुनिया में नहीं घूमते पंख प्रसार कर जब तक हम आसमान में नहीं उड़ते तब तक आपको यही लगता है कि यह संसार छोटा है लेकिन जब आप उड़ने लगते हैं इधर-उधर मंडराने लगते हैं तो आप को यह समझ में आता है कि यह संसार बहुत बड़ा है इसको संपूर्ण घूमना नामुमकिन है

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