पहेलियाँ: Paheliyan-Puzzles

Dinesh Kumar

पहेलियाँ: Paheliyan (Puzzles)

Puzzles, पहेलियाँ

पहेलियाँ

पहेलियाँ: Paheliyan-Puzzles

आँखे दो हो चाहे चार

मेरे बिना कोट बेकार

घुसा आंख में मेरे धागा

दर्जी के घर से मैं भागा

टिक टिक टिक टिक चलती जाऊं

सबको ही मैं समय बताऊं

काम समय से जो कर पाए

वही मेरा नाम बताएं

नीचे पटको ऊपर जाऊं

ऊपर से फिर नीचे आऊं

आऊं जाऊं आऊं जाऊं

जितना चाहो खेल खेलाऊं

पंख है लेकिन चिड़िया नहीं

चलता है लेकिन बढ़ता नहीं

गर्मी भगाना इसका काम

झट बतलाओ क्या है नाम

कद्दू ना ककड़ी

छोटी-छोटी लकड़ी

रस पी मुस्कुराओ

पहेली मेरा नाम बताओ

Summary(सारांश)

यह कविता (Teaser)टीज़र पर आधारित एक पहेली है, इसका अर्थ है कि छोटे बच्चों के सोचने के तरीके में (Diversify)विविधता कैसे आएगी, वे सरल से-सरल और (Critical)आलोचनात्मक कैसे सोच सकते हैं, यहां पर बहुत सारे पहेली दिए गए हैं जिन्हें खेल-खेल में बताना होगा इसका उत्तर क्या है क्योंकि बच्चों को कई पहेलियाँ दी गई हैं,

मनोरंजन और खेल के साथ-साथ उनके सोचने का तरीका भी बदल जाता है और बचपन से ही उनका दिमाग तेज होने लगता है। कविता बच्चों की (Analytical) विश्लेषणात्मक सोच में सुधार करता है क्योंकि यह पूरी तरह से पहेली के आधार पर है पहेली को कैसे हल करना है बच्चा सीखते है

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7 thoughts on “पहेलियाँ: Paheliyan (Puzzles)”

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