टेसू राजा Tesu Raja Poem

Dinesh Kumar

टेसू राजा: Tesu Raja Poem रामधारी सिंह दिनकर

Tesu Raja Poem रामधारी सिंह दिनकर, टेसू राजा

टेसू राजा

टेसू राजा Tesu Raja Poem

टेसू राजा अड़े खड़े

मांग रहे हैं दही बड़े

बड़े कहां से लाऊँ मैं

पहले खेत खुदाऊँ मैं

उसमें उड़द ऊगांऊँ मैं

फसल काट घर लाऊँ मैं

छान फटक रखवाऊँ मैं

फिर पीटी पीशवाऊँ मैं

टिकिया गोल बनाऊँ मैं

बेलन से बेलवाऊँ मैं

चूल्हा फूँक जलाऊँ मैं

तलवा कर सीकवाऊँ मैं

फिर पानी में डाल उन्हें

मैं लूँ खूब उबाल उन्हें

फूल जाए वह सब के सब

उन्हें दही में डांलू तब

मिर्च नमक छिड़काऊँ मैं

चांदी वर्क लगाऊं मैं

चम्मच एक मांगाऊँ मैं

तब उन्हें खिलाऊँ मैं

टेसू राजा अड़े खड़े

मांग रहे हैं दही बड़े

Writer – रामधारी सिंह दिनकर

(Summary)सारांश

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित टेसू राजा कविता का सारांश यह है कि टेसू नाम का एक राजा है जो अपने ज़िद पर अड़े हैं और वहां दही बड़े मांग रहे हैं तभी कवि ये कहना चाहते हैं कि बड़े कहां से लाऊँ मैं पहले खेत खुदवाओं मैं, फिर उसमें उड़द ऊगांऊँ मैं फसल कटवा कर मैं घर ले आउंगा, छान फटक रखवाऊँ मैं फिर कवि ये कहना चाहते हैं उसको पिसवाऊँ मैं आगे लिखते हैं कभी टिकिए गोल बनाऊँ मैं बेलन से बेलवाऊँ मैं और कवि यह कहना चाहते हैं चूल्हा फूँक जलाऊँ मैं तलवा कर शिकवाऊँ मैं फिर पानी में फिर पानी में डाल उन्हें मैं लूँ खूब उबाल उन्हें तो फिर उन्हें दही में डांलू तब और मिर्च नमक छिड़काऊँ मैं , इतनी सारी प्रक्रिया फॉलो करने के क बाद तब जाकर दही बड़ा बनता है लेकिन जो टेसू राजा था जो अपने जिद पर अड़े थे कि मुझे दही बड़ा दो कवि इस कविता के माध्यम से हमे यही समझाना चाहते हैं कि बहुत सारी प्रक्रिया है तब जाकर बड़े बनता है

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