टेसू राजा
टेसू राजा अड़े खड़े
मांग रहे हैं दही बड़े
बड़े कहां से लाऊँ मैं
पहले खेत खुदाऊँ मैं
उसमें उड़द ऊगांऊँ मैं
फसल काट घर लाऊँ मैं
छान फटक रखवाऊँ मैं
फिर पीटी पीशवाऊँ मैं
टिकिया गोल बनाऊँ मैं
बेलन से बेलवाऊँ मैं
चूल्हा फूँक जलाऊँ मैं
तलवा कर सीकवाऊँ मैं
फिर पानी में डाल उन्हें
मैं लूँ खूब उबाल उन्हें
फूल जाए वह सब के सब
उन्हें दही में डांलू तब
मिर्च नमक छिड़काऊँ मैं
चांदी वर्क लगाऊं मैं
चम्मच एक मांगाऊँ मैं
तब उन्हें खिलाऊँ मैं
टेसू राजा अड़े खड़े
मांग रहे हैं दही बड़े
Writer – रामधारी सिंह दिनकर
(Summary)सारांश
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित टेसू राजा कविता का सारांश यह है कि टेसू नाम का एक राजा है जो अपने ज़िद पर अड़े हैं और वहां दही बड़े मांग रहे हैं तभी कवि ये कहना चाहते हैं कि बड़े कहां से लाऊँ मैं पहले खेत खुदवाओं मैं, फिर उसमें उड़द ऊगांऊँ मैं फसल कटवा कर मैं घर ले आउंगा, छान फटक रखवाऊँ मैं फिर कवि ये कहना चाहते हैं उसको पिसवाऊँ मैं आगे लिखते हैं कभी टिकिए गोल बनाऊँ मैं बेलन से बेलवाऊँ मैं और कवि यह कहना चाहते हैं चूल्हा फूँक जलाऊँ मैं तलवा कर शिकवाऊँ मैं फिर पानी में फिर पानी में डाल उन्हें मैं लूँ खूब उबाल उन्हें तो फिर उन्हें दही में डांलू तब और मिर्च नमक छिड़काऊँ मैं , इतनी सारी प्रक्रिया फॉलो करने के क बाद तब जाकर दही बड़ा बनता है लेकिन जो टेसू राजा था जो अपने जिद पर अड़े थे कि मुझे दही बड़ा दो कवि इस कविता के माध्यम से हमे यही समझाना चाहते हैं कि बहुत सारी प्रक्रिया है तब जाकर बड़े बनता है