Ham Balak Hai Poem

Dinesh Kumar

हम बालक है: Ham Balak Hai Poem

Ham Balak Hai Poem, हम बालक है

हम बालक है…

हम बालक है

हम बालक हैं अति नादान

तुम हो प्रभु ज्ञान की खान

वही वास्तु दे हमको आप

जिसे मिटें सभी संताप

बुद्धि शुद्ध हो निर्मल ज्ञान

हो जाए सबका कल्याण

तुम पर सदा रहे विश्वास

कभी न करे पराये आस

सेवा करें, समान करें

सबको दो ऐसा वरदान

भूले नहीं तुम्हारी याद

करें न एक पल बर्बाद

देखें तुम्हें सदा ही साथ

सिर पर रहे तुम्हारा हाथ

सारांश (Summary)-

हम बालक हैं कविता बहुत ही प्यारा कविता है जो हमने बचपन में पढ़ा था शायद बहुत सारे लोग पढ़ा होगा कवि का कहना है, हे प्रभु हम बालक हैं और अति नादान हैं और आप ज्ञान के सागर हैं ज्ञान के खान हैं आप मुझे ऐसा वरदान दे कि मैं किसी को कष्ट न दूं सदा आपके जप में लग रहा हूं बुद्धि शुद्ध हो निर्मल ज्ञान जिसे सबका कल्याण हो और तुम पर सदा हमारे विश्वास रहे, सेवा करे सम्मान करें ऐसा वरदान दो हमको, कवि कहना चाहता है कि आपकी जो याद है वह मैं कभी भूलु नहीं सदा ही आपकी याद में रहूं तुम्हें देखूं तुम्हें चाहूं तुम्हें पूजा, अर्चना करू ऐसा दो वरदान सिर पर सदा रहे तुम्हारे हाथ

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Ham Balak Hai Poem

प्रशन और उत्तर

Q. 1 कवि भगवान से क्या कहना चाहते हैं

Ans – कवि भगवान से यही कहना चाहते हैं कि हम तो बालक हैं हम नादान हैं मुझसे गलती होती रहती हैं तो कृपा करके आप हमें ऐसा ज्ञान दे कि मुझसे गलती ना हो मैं सबके साथ हमेशा मिल कर रहूं और आपका आशीर्वाद हमारे ऊपर हो

Q. 2 कवि क्यों कह रहे हैं कि आप के साथ हमें चाहिए

Ans – कवि कह रहे हैं कि आपका साथ हमें चाहिए क्योंकि हम नादान हैं हमें इतना ज्ञान नहीं है और आप ज्ञान के सागर हैं आप ज्ञान के खान हैं आप मुझे बुद्धि दे इसीलिये भगवान से सहायता मांग रहे हैं

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