दुनिया रंग बिरंगी
नीले जैसा खुला आकाश है
सागर का नीला पानी है
मोर के सुंदर पंख है
और पेड़ पर बैठे पंछी है
पिला, जैसा चमचमाता सूरज
पका आम और केला है
सब्जियों में नींबू है
और सूरजमुखी का फूल है
लाल जैसे फलों में सेब है
खुशबू दर फूल गुलाब है
चेरी और लाल टमाटर है
और मेरी नाक पर फुंसी है
हारा, जैसी हरि हरि एक घास है
मीठा-मीठा मटर है
पलक और बंदगोभी है
और पेड़ के हरे हरे पत्ते हैं
कहीं ऊँचा है कहीं गड्ढा है
कहीं समतल है कहीं पहाड़ है
तो कहीं पानी कहीं सूखा है
यहाँ दुनिया सच में रंग बिरंगी है
कहीं पर बादल है
तो कहीं पर बारिश
कहीं पर धूल है
तो कहीं पर छाया है
यहाँ दुनिया सच में रंग बिरंगी है
सारांश
दुनिया रंग बिरंगी कविता का सारांश यह है कि दुनिया सच में रंग बिरंगी है, कवि का कहना है कि दुनिया में बहुत सारी ऐसी चीज है कि रंग बिरंगी देखने को मिल जाएगा आकाश नीला है अंबर नीला है और भी बहुत सारी चीज है जो हर प्रकार के हर तरह के हर रंग के सब अलग-अलग हैं कहीं पर खाई है तो कहीं पर पहाड़ है कहीं पर बारिश है तो कहीं पर सुखा है कहीं पर समतल है तो कहीं पर गड्ढ़ा है यह दुनिया सच में रंग बिरंगी है कहीं पर बादल है तो कहीं पर बारिश कहीं पर धूल है तो कहीं पर छाया है यहाँ दुनिया सच में रंग बिरंगी है
Writer :- Devika Rangachari
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