मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय का दौरा किया
बिहार का बिरासत, गौरव और प्राचीन विश्वविद्यालय नालदा विश्वविद्यालय जिसे कौन नहीं जानता है नालंदा विश्वविद्यालय, जिसे 5वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था, प्राचीन भारत का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र था। यह विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध था और यहां विभिन्न विषयों की शिक्षा दी जाती थी।
बता दे की नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के महान शासक सम्राट कुमारगुप्त प्रथम (415-455 ईस्वी) के द्वारा स्थापित करवाया गया था। यह विश्वविद्यालय प्राचीन भारत के सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों में से एक था।
भारत के प्रधान सेवक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विश्व प्रशीद नालदा विश्वविद्यालय गये थे परंतू उनका जाने का क्या उद्देश्य है क्यू की साथ में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश बाबू भी साथ नजर आये थे
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नालंदा विश्वविद्यालय जाने का उद्देश्य
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नवनिर्मित परिसर का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है आज 19 जून को मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय का दौरा किया उन्होंने राजगीर के प्राचीन विश्वविद्याल खंडारो के पास नये नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर को उद्घाटन किया है साथ ही बता दे आप को परिसर का नाम प्राचीन यूनिवर्सिटी के नाम पर रख गया है ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काम में 1600 से ज्यादा विद्वानों की शिक्षा वहीं से मिली थी
जानकारी के लिए बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और 17 साझेदरी देशो के राजदूत तथा बिहार के राजपाल और खुद बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी मौजूद थे यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने मोदी के दौरे को ऐतिहासिक करार दिया है और उन्होंने कहा कि मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय का दौरा किया दौर से यह यूनिवर्सिटी दुनिया भर में लोकप्रिय हो जाएगी, कुछ खास है नालंदा यूनिवर्सिटी
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास
दरसअल 2007 में भारत के राष्ट्रपति एजेपी अब्दुल कलाम के सुझाव के बाद बिहार विधानसभा ने एक विधायक पारित किया तथा सरकार ने 455 एकड़ जमीन का मुहैया कराया विश्वविद्यालय की स्थापना की जिसने 25 नवंबर 2010 को संसद के विशेष अधिनियम का दौरा बनाया गया और एक राष्ट्रीय संस्था के नाम की स्थापना की गई।
कुमारगुप्त ने नालंदा में एक मठ के रूप में इस शिक्षा संस्थान की नींव रखी थी, जो बाद में एक विशाल विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत का एक प्रमुख शैक्षिक और सांस्कृतिक केंद्र था। यहाँ बौद्ध धर्म, वेद, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, गणित, तर्कशास्त्र, और अन्य विषयों की शिक्षा दी जाती थी। यह विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म के महायान शाखा के अध्ययन का प्रमुख केंद्र था
बता दे की नालंदा विश्वविद्यालय को 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया था। बख्तियार खिलजी एक तुर्की सैन्य जनरल था, जिसने भारत पर कई आक्रमण किए और कई महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्रों को नष्ट किया 1193 ईस्वी में, बख्तियार खिलजी ने बिहार और बंगाल के क्षेत्रों पर आक्रमण किया। इसी आक्रमण के दौरान उसने नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया
उसके बाद वे बख्तियार खिलजी की सेना ने नालंदा विश्वविद्यालय पर आक्रमण किया और यहां के मठों और पुस्तकालयों को आग लगा दी नालंदा के नष्ट होने के बाद, यह प्राचीन शिक्षा केंद्र पुनः स्थापित नहीं हो सका और धीरे-धीरे विलुप्त हो गया
तभी तो एजेपी अब्दुल कलाम के कहने पर इस यूनिवर्सिटी का दोबारा निर्माण कराया गया, उसी के उद्घाटन के लिये मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय का दौरा किया
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