सुबह कहां से आता सूरज
सुबह कहां से आता सूरज
कहां शाम को जाता है
घर है इसका कहां, जहां
ये अपनी रात बिताता है
अमृत बरसाता किरण किरणो से,
चाँद कहाँ से आता है
कैसे प्रतिदिन तारों के दल
से अम्बर भर जाता है
इतना सुंदर इंद्र धनुष है
कैसे बनाता मिटाता है
किसी तरह मुझको ऐसा
क्या धनुष नहीं मिल सकता है
आ जाते हैं कहां कहां से
पर्वत जैसे ये बादल
बरसाता आकाश कहां से
रिमझिम रिमझिम इतना जल
आती है यह नदी कहां से
चली कहां को जाती है
कौन परी डाली डाली पर
नूतन फुल सजाती है
Summary(सारांश)
सुबह कहां से आता सूरज कविता का भाव अर्थ यह है कि सूरज कहां से आता है और फिर आर शाम को कहां ढल जाता है और अपनी रात कैसे बिताता है और कवि आगे लिख रहा है कि बरसात की जो किरणें कहां से आती है प्रतिदिन बादल में तारा इतनी कहां से आते हैं इंद्रधनुष कैसे बनता है क्या इस तरह का इंद्रधनुष मुझे एक दिन के लिए मिल सकता है कवि ऐसा कहना है कि पर्वत की तरफ बादल कहां से जाता है फिर रिमझिम रिमझिम बरसात कहां चला जाता है कहाँ से आती है नदी में इतना पानी फिर कहाँ को चला जाता है कभी यहाँ कहना चाहता है कि यह जानकारी मुझे कैसे हासिल होगी इसे मैं कैसे समझ सकता हूं
ये भी पढ़े –टेसू राजा: Tesu Raja Poem रामधारी सिंह दिनकर
What i do not realize is in fact how you are no longer actually much more wellfavored than you might be right now Youre very intelligent You recognize thus considerably in relation to this topic made me in my view believe it from numerous numerous angles Its like men and women are not fascinated until it is one thing to do with Lady gaga Your own stuffs excellent All the time handle it up
Thanks for your comments please recommends this website to your friends. Thanks
Smartcric I appreciate you sharing this blog post. Thanks Again. Cool.