सुबह कहां से आता सूरज

Dinesh Kumar

सुबह कहां से आता सूरज: Subah kahan se Aata Suraj Poem

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सुबह कहां से आता सूरज

सुबह कहां से आता सूरज

सुबह कहां से आता सूरज

कहां शाम को जाता है

घर है इसका कहां, जहां

ये अपनी रात बिताता है

अमृत ​​बरसाता किरण किरणो से,

चाँद कहाँ से आता है

कैसे प्रतिदिन तारों के दल

से अम्बर भर जाता है

इतना सुंदर इंद्र धनुष है

कैसे बनाता मिटाता है

किसी तरह मुझको ऐसा

क्या धनुष नहीं मिल सकता है

आ जाते हैं कहां कहां से

पर्वत जैसे ये बादल

बरसाता आकाश कहां से

रिमझिम रिमझिम इतना जल

आती है यह नदी कहां से

चली कहां को जाती है

कौन परी डाली डाली पर

नूतन फुल सजाती है

Summary(सारांश)

सुबह कहां से आता सूरज कविता का भाव अर्थ यह है कि सूरज कहां से आता है और फिर आर शाम को कहां ढल जाता है और अपनी रात कैसे बिताता है और कवि आगे लिख रहा है कि बरसात की जो किरणें कहां से आती है प्रतिदिन बादल में तारा इतनी कहां से आते हैं इंद्रधनुष कैसे बनता है क्या इस तरह का इंद्रधनुष मुझे एक दिन के लिए मिल सकता है कवि ऐसा कहना है कि पर्वत की तरफ बादल कहां से जाता है फिर रिमझिम रिमझिम बरसात कहां चला जाता है कहाँ से आती है नदी में इतना पानी फिर कहाँ को चला जाता है कभी यहाँ कहना चाहता है कि यह जानकारी मुझे कैसे हासिल होगी इसे मैं कैसे समझ सकता हूं

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3 thoughts on “सुबह कहां से आता सूरज: Subah kahan se Aata Suraj Poem”

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