पंबन पुल(Pamban Bridge)

Dinesh Kumar

पंबन पुल: न्यू Pamban Bridge मार्डन इंजीनियरिंग का चमत्कार और समुद्र पर बना भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे पुल

न्यू Pamban Bridge मार्डन इंजीनियरिंग का चमत्कार, पंबन पुल

पंबन पुल(Pamban Bridge)

पंबन पुल भारत की पहली समुद्री पुल है जो तमिलनाडु में रामेश्वर दीप को मुख्य भूमि से जोड़ता है, लगभग 2.06 किमी लंबा रेलवे पुल है जिसे 1914 में शुरू किया गया और यह ड्रॉब्रिज तकनीकी के लिए जाना जाता है जो जहाज के गुजरने के लिए खुल सकता है इंजीनियरिंग का या अद्भुत नमूना भारतीय रेलवे का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है पंबन पुल भारत का पहला समुद्री पुल और इंजीनियरिंग का चमत्कार है

पंबन पुल(Pamban Bridge)

भारत के तमिलनाडु में स्थित पवन ब्रिज जो रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ता है, अपने आप में एक ऐतिहासिक और इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण है। यह न केवल भारत का पहला समुद्री पुल है, बल्कि यह भारतीय रेलवे का गौरव भी है और यह एक बहुत प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है जहाँ साल भर पर्यटक आते हैं क्योंकि इसका नज़ारा बिल्कुल अलग है।

पुल का इतिहास(History)

पबन पुल का इतिहास काफी पुराना है आपको बता दें कि पंबन पुल का निर्माण 1911 में शुरू हुआ था और इसे 1914 में जनता के लिए खोल दिया था उस समय का सबसे बड़ा समुद्री पुल था और लगभाग 105 वर्ष तक देश के सबसे लंबे समुद्री पुल का खिताब इसके पास रहा इसे पवन चैनल पर बनाया गया है जो मन्नार की खाड़ी और बंगाल की खाड़ी को जोड़ता है और यह एक अदभुत पुल में से एक है

आपको बता दें कि पंबन पुल(Pamban Bridge) का निर्माण भारत के आजादी से पहले ही शुरू हुआ था यानी 1911 में बनना शुरू हो गया था तब भारत पर अंग्रेज का शासन था भारत उस समय आजाद नहीं हुआ था यह काफी पुराना ब्रिज है और पर्यटन के लिए एक आकर्षण का पॉइंट है

पुल की संरचना(Bridge structure)

आपको जानकर हैरानी होगी कि इतने दिनों बाद भी यह पुल बिल्कुल वैसा ही दिखता है। यह पुल करीब 2.06 किलोमीटर लंबा है और इसे 145 खंभों पर बनाया गया है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसमें ड्रॉब्रिज (Double-leaf Scherzer span) की सुविधा है, जिसे खोलकर स्ट्रीमर को गुजारा जा सकता है। जिस समय इसका निर्माण हुआ था, उस समय के लिए यह तकनीक एक बड़ी उपलब्धि थी।

1964 में आए भयानक चक्रवात ने रामेश्वर के पूरे इलाके को तबाह कर दिया था, लेकिन यह पुल मजबूती से खड़ा रहा। इसकी इंजीनियरिंग इतनी मजबूत है कि यह करीब 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आने वाले तूफानों को भी झेल सकता है। और इसका निर्माण उस समय हुआ था जब भारत आज़ाद नहीं हुआ था, अंग्रेजों ने इसका निर्माण करवाया था।

धार्मिक और पर्यटन(Tourism) महत्व

पंबन ब्रिज अपनी अद्भुत इंजीनियरिंग के लिए जाना जाता है लेकिन रामेश्वर भारत के चार धामों में से एक है जहाँ इस पुल का निर्माण किया गया है और हिंदू धर्म में इसका गहरा महत्व है जो न केवल यात्रा को आसान बनाता है बल्कि यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी है और उन्हें रोमांचित करता है

क्योंकि यह बिंदु(Point) आकर्षणों से भरा है। हाल के वर्षों में, भारतीय रेलवे ने पुल के पास एक नया रेल रोड ब्रिज बनाने की भी योजना बनाई है जो आधुनिक तकनीक से लैस होगा, हालाँकि पुराने पुल को हेरिटेज संरचना का दर्जा भी दिया जा रहा है।

पंबन पुल(Pamban Bridge)कुल लागत

भारतीय रेलवे ने पंबन ब्रिज के पास एक नया रेल रोड ब्रिज बनाने की योजना बनाई है जो आधुनिक तकनीक से लैस होगा। हालांकि पुराना पंबन ब्रिज अभी भी उपयोग में है और इसे हेरिटेज संरचना का दर्जा दिया गया है। साथ ही आपको बता दु नए पंबन ब्रिज के बारे में भी जो समुद्र के ऊपर भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे ब्रिज होगा।

यह वास्तव में एक इंजीनियरिंग चमत्कार है। रेलवे विकास निगम लिमिटेड द्वारा 535 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पुराने पंबन पुल के समानांतर निर्मित होने वाला यह पुल रामेश्वरम और मुख्य भूमि पर मंडपम के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क के रूप में काम करेगा।

न्यू Pamban Bridge मार्डन इंजीनियरिंग का चमत्कार और समुद्र पर बना भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे पुल

पंबन पुल(Pamban Bridge) सिर्फ यातायात का माध्यम नहीं है बल्कि इसे भारत की तकनीकी क्षमता और इंजीनियरिंग कौशल का प्रतीक माना जाता है। समुद्र के ऊपर से गुजरने वाला यह पुल आज भी हर यात्री के दिल में खास जगह बना रहा है और आज भी मजबूती से खड़ा है। यह रेलवे की शान है। वर्तमान में इस पर आधुनिक रेल रोड ब्रिज बन रहा है

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